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लेखनी कहानी -12-May-2024

       सच तो जीवन में चाहत होती है और चाहत के साथ-साथ हम सभी भाग्य और कुदरत के एक सच को समझते हैं ऐसा ही कुछ रीना के साथ था रीना एक कॉल गर्ल और उसके जीवन में केवल हम बिस्तर और शारीरिक संबंध के अलावा कुछ दूसरा और काम न था। उसका पैसा ही उसका भगवान और ईमान था। और जीवन में रोज सुबह से शाम उसकी दौड़ भाग नए-नए लोगों से संबंध जोड़ना और उनके साथ हम बिस्तर होना और उनके शरीर को संतुष्ट करना। रीना अपने बदन के साथ-साथ बातों की भी मलिका थी। 
         एक दिन शाम की सुहानी रात के समय रीना खड़ी अपने नए पंछी का इंतजार कर रही थी निलेश अपने दफ्तर से निकाल कर रेड लाइट पर बाइक रोकता है रीना उसको देखकर बिना कुछ कहे उसकी बाइक पर बैठ जाती है निलेश एक गांव का युवक था वह दिल्ली में कुछ दिन पहले ही आया था उसने सोचा शायद किसी की कोई मदद करनी है और वह मोटरसाइकिल स्टार्ट करती है अपने घर की ओर चल देता है कुछ देर के बाद मिले जिस कमरे में रहता था उसे अपार्टमेंट के सामने अपनी बाइक पार्क करता है। और निलेश को रीना पहली नजर में पसंद आ जाती है निलेश भी अभी तक कुंवारा था उसकी उम्र भी 30 वर्ष के करीब थी। 
       अब निलेश रीना से पूछता है अपना नाम बताइए रीना समझ जाती है यह है दिल्ली में नया है। और मैं उसे अपना नाम रीना बताती हैं। निलेश पूछता है कि मैं बताइए आपकी क्या मदद कर सकता हूं तब रीना रहती है आप मुझे ₹5000 की मदद कर दीजिए निलेश उसे कहता है कि इस समय तो उसके पास ₹2000 पड़े हैं अगर आप इससे काम चला ले तब ठीक है और सुबह होने पर मैं आपकी मदद कर सकता हूं। रीना का तो कोई ईमान और धर्म था ही नहीं बस रीना ₹2000 लेकर उसके साथ ऊपर उसके कमरे में आ जाती है। और रीना रहती है मैं किसी से पैसा फ्री नहीं लेती है। और वह निलेश को पलंग पर गिरा देती हैं।

और रीना अपनी अदाओं से नितेश को मदहोश कर देती है। निलेश व 30 वर्ष की जवानी की उम्र से पहली बार दिल्ली में ऐसी रंगीन रात को देखता है। निलेश एक गांव का सीधा-साधा नौजवान और रीना दिल्ली की नामी भी कॉल गर्ल परंतु रीना को निलेश मदहोश कर देता है और कुछ घंटे के लिए भूल जाती है कि वह कॉल गर्ल और उसे ऐसा लगने लगता है कि जैसे की निलेश ही उसका जीवन साथी है कुछ देर का बहाना करके और ₹2000 लेकर वह भी निलेश की आलिंगन में खुशी और खुद को अच्छा महसूस कर रही थी न जाने कब सुबह हो गई। निलेश ऑफिस के लिए तैयार होता है रोजाना की तरह वह होटल वाले को फोन करके कहता है आज चार पराठे भेज देना और साथ में दही और पनीर की सब्जी भेज देना। नितेश का भोलापन देखकर रीना की आंखों में आंसू आ जाती है और वह उसे दिन एक कॉल गर्ल से उसके अंदर की औरत जाग जाती है। और वह निलेश से लिपट जाती है निलेश को जवानी की जुनून में था। और नीलेश रीना को एक अच्छी लड़की समझकर रीना के साथ फिर मदहोश हो जाता है और दोनों आलिंगन के साथ मस्त हो जाते है। होटल वाला लड़का दरवाजा खटखटाता है नीलेश भाई परांठे आ गए हैं अच्छा ठीक है मैं आता हूं और नीलेश दरवाजा खोलकर पराठे सब्जी वगैरह ले लेता है। निलेश नाश्ता करके अपनी फैक्ट्री की ओर रवाना होता है और चाबी रीना को दे देता है और कहता शाम को मिलते हैं और तुम्हें रुकना है तो मेरे कमरे पर रहो। रीना निलेश को एक नजर से देखती रहती है और नीलेश चला जाता हैं। शाम को जब निलेश घर आता है। तक निलेश घर कमरे को बदला बदला सा देखता है। और दोनों रीना और नीलेश कमरे में कैंडल लाइट डिनर करते हैं और रीना रहती है सब मैंने बनाया है खाना निलेश की भोलेपन और सादगी से रीना अपना बीता वक्त एक कॉल गर्ल का भूल जाती है। निलेश खाना खाने के बाद रीना से पूछता है आपका घर कहां है तब रीना झूठ बोल देती है कि मैं अनाथ हूं। और मेरा कोई नहीं है निलेश कहता है गांव में बस मेरे माता-पिता है मैं भी घर का इकलौता लड़का हूं क्या तुम मुझसे शादी करोगी। रीना नीलेश के भोलेपन को देखकर उसके बाहों में सर रखकर रोने लगती है अब रीना अपना सच निलेश को बता देती है फिर भी निलेश कहता है मैं भी तुम्हारे साथ हम बिस्तर हो चुका हूं और अब तुम और तुम्हारा बिता कल कैसा भी था। अगर तुम चाहो तो मेरे साथ अपना भविष्य अच्छा कर सकती हो। रीना रहती है मैंने सुना तो था भगवान होते हैं परंतु मुझे विश्वास नहीं था कि भगवान धरती पर भी होते है। निलेश कहता है कोई भगवान की बात नहीं है बस संजोग और भाग्य होते हैं और कुदरत के साथ हमारा जीवन जो भी होता है वह अच्छा होता है तुम्हारी कुछ मजबूरी रही होगी जो तुमने ऐसी जिंदगी जी मैंने जीवन में यही सीखा है कि हम किसी की मदद कर सकते हैं या उसकी अच्छी राह दिखा सकते हैं तो यही एक जीवन में मानवता का फर्ज है। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच तो यह है कि मैं अभी तक कुंवारा था मगर मैं शादीशुदा होता तब तुम से मैं शादी कैसे करता। इसका मतलब ईश्वर भी यही चाहता है रीना निलेश के पैरों में झुक जाती है। निलेश रीना को गले लगा लेता है और कहता है इंसान की जिंदगी में बुरे दिन और अच्छे दिन तो आते रहते हैं परंतु अगर इंसान अपने को अच्छी राह पर ली जाए तब वह भी एक उसे इंसान की खासियत होती है। रीना और नीलेश दोनों गांव की ओर चल देते हैं और नीलेश गांव में जाकर अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेता है। और रीना निलेश दिल्ली जाकर अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं कुछ दिनों में निलेश से रीना कहतीं हैं। आप पिता बनने वाले और नीलेश और रीना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और बिना अपने पुराने दिनों को याद करके बहुत अफसोस करती है परंतु निलेश से गले लगा कर कहता है अब तुम मेरी पत्नी हो कोई कॉल कर नहीं हो। कुदरत और भाग्य के साथ एक सच यह भी है जो तुम्हारा बुरा टाइम था या बुरा समय था वह बी चुका है आओ हम दोनों अपने बच्चों के आने की खुशी में एक बार फिर एक हो जाते हैं रीना निलेश को अलग कर देती है और कहती है मैं तुम्हारे पास आऊंगी क्योंकि अब मुझे आपसे ज्यादा अपने आने वाली संतान का ख्याल रखना और नीलेश हंसता हुआ रीना को गोदी में उठा लेता है। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग तो यह भी है किसी का समय कब बदल जाएगी यह हम भी नहीं जानते परंतु ईश्वर और भाग्य कुदरत सब एक सच होता है। नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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1 Comments

Mohammed urooj khan

14-May-2024 11:26 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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